Monday, April 07, 2014

अबकी बार हमारी सरकार

सावधान ,खबरदार, होशियार
एकबार फिर चुनने जा रहे हो सरकार !

पांच साल झेला तुमने ,
गुमनामी का अन्धकार !
याद तुम्हारी फिर आयी है,
सजा है लोकतंत्र का बाज़ार !

फिर मूल्यवान हुआ वोट तुम्हारा ,
अनेकों जुटें हैं खरीददार !
पर रुको, सोचो, देखो,
न बिक जाये फिर तुम्हारा यह अधिकार !

पर चलो लें हम सब
यह प्रण इस बार !
नफरत नहीं,
चुनेंगे प्यार !
धोखा नहीं,
चुनेंगे ऐतबार !
उपेक्षा नहीं ,
चुनेंगे सरोकार !
अक्षम नहीं ,
चुनेंगे असरदार !
भ्रष्ट नहीं ,
चुनेंगे ईमानदार !
दगाबाज़ नहीं ,
चुनेंगे वफादार !
पलेंगे नहीं टुकड़ो पे,
बनेंगे हम भी भागीदार !
बहुत हुआ शोषण हमारा,
सहेंगे नहीं अब अत्याचार !
जनता स्वामी और सेवक वे ,
बनेगी इस बार सेवकों की सरकार !!